Please choose your preferred language
بسم اللہ الرحمٰن الرحیم تحریر: نبیلہ عادل حسینی (ابتدائیہ) ناول "خطرناک سفر" کا دوسرا حصہ جس کا نام ہے "ریت کا زلزلہ" جلد ہی منظر عام پر آرہا ہے۔ امید ہے کہ یہ ناول آپ کو خطرناک سفر سے بھی زیادہ ...
تحریر: نبیلہ عادل حسینی (قسط نمبر 001) "میں نے ان سے پوچھا تھا کہ کیا وہ ان دونوں سے جنگ نہیں کرسکتے۔ اس پر انھوں نے کہا تھا کہ اگر مبارزت طلبی کی جائے تو ممکن ہے ہم میں سے کوئی ان میں سے جیتنے والے ...
अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़िन्दगी, तू अगर मेरा नहीं बनता न बन, अपना तो बन। बचपन से विभिन्न प्रकार की कहानियां पढ़ने का शौक रहा है। यह शौक़ खानदानी है। घर में हर प्रकार का लिटरेचर उपलब्ध था जिसे पढ़ते हुए बड़े हुए। हमें विशेष रूप से जिन लेखकों ने प्रभावित किया उनमें कई बड़े नाम हैं। राइडर हैगर्ड, जेम्स हेडली चेज, अगाथा क्रिस्टी, अर्ल स्टेनली गार्डनर, आइन फ्लेमिंग, आर्थर कानन डायल, एडगर एलन पो, एडवर्ड डी० हो, मुहीउद्दीन नवाब, एम० ए० राहत, काशिफ जुबैर, सुरेंद्र मोहन पाठक तथा मुंशी तीर्थराम फिरोजपुरी इत्यादि। इन सभी राइटर के अतिरिक्त हमें जो नाम सबसे ज्यादा पसंद है और जिसने हमारी जिंदगी पर गहरी छाप छोड़ी वह किसी परिचय का मोहताज नहीं। जी हां हम जिक्र कर रहे हैं इब्ने सफी साहब का जिनका असली नाम असरार अहमद था और जिनका जन्म 1928 में इलाहाबाद के कस्बा नारा में हुआ था। उनके जासूसी नोवेल्स ने हिंदी, उर्दू और बंगाली भाषा में 1950 से आज तक धूम मचा रखी है। उनके करोड़ों पढ़ने वालों में से एक हम भी हैं। आज जो कुछ उल्टा सीधा और टूटा फूटा लिख लेते हैं इसके लिए हम इब्ने सफी साहब के एहसान मंद हैं। लिखने का शौक बचपन से ही था। दस साल की उम्र में पहला नॉवेल लिखने की कोशिश की और लगभग 30 पेज का एक नॉवेल लिख डाला था। यह कहानी आज भी हमारे पास सुरक्षित रखी है। इसके बाद काफी दिनों तक कुछ नहीं लिखा। 14 साल की उम्र में जब कुछ और समझ आई तो फिर से एक नॉवेल लिख जिसका नाम था "लाश का कत्ल" यह नॉवेल कुछ साल पहले फेसबुक ग्रुप पर पी० डी० एफ० में डाला था जिसे बहुत से लोगों ने पसंद किया और खूब तारीफें मिलीं। अब तक हम लगभग बीस नॉवेल लिख चुके हैं लेकिन उन्हें कभी प्रकाशित करने की नौबत नहीं आई। फिर 2021 में हमारी भेंट प्रतिलिपि से हुई तो सोचा कि क्यों न अपने लिखे हुए नॉवेल प्रतिलिपि के माध्यम से पाठकों तक पहुंचाएं। बस तब से प्रीतिलिप पर अपने द्वारा लिखे गए नोवेल्स पोस्ट करने का सिलसिला जारी है। आज कल दो नई कहानियां लिख कर प्रतिलिपि पर पोस्ट कर रहे हैं। हिंदी वाली कहानी का नाम है "स्वर्ग का शहंशाह" और उर्दू वाली कहानी का नाम "रेत का जलजला" है। रेत का जलजला का पहला सीजन "खतरनाक सफर" के नाम से एक साल पहले लिख चुके हैं। हमारे बहुत से पाठकों की डिमांड थी कि हम अपनी सभी उर्दू कहानियों को हिंदी के पाठकों के लिए प्रस्तुत करें। यह विचार हमें भी अच्छा लगा इसलिए हिंदी पाठकों के लिए "स्वर्ग का शहंशाह लिखा आरंभ कर दी है। इस नॉवेल के बाद हमारा अगला हिंदी नॉवेल "खून की प्यास" आएगा। उम्मीद है आपको हमारी लेखन शैली और नॉवेल पसंद आयेंगे। कहानी पढ़ कर अपनी राय अवश्य दें और अगर कहीं कोई कमी और गलती नजर आए तो मार्गदर्शन भी जरूर करें। आपके शुभचिंतक: नबीला आदिल हुसैनी پرواز ہے دونوں کی اسی ایک فضا میں، کرگس کا جہاں اور ہے شاہیں کا جہاں اور۔ بچپن سے ہی مختلف قسم کی کہانیاں پڑھنے کا شوق رہا ہے۔ یہ شوق موروثی ہے۔ گھر میں ہر قسم کا لٹریچر موجود تھا۔ اسی کو پڑھتے ہوئے بڑے ہوئے۔ مختلف قسم کے رسالے، ماہنامے، ڈائجسٹ اور ادبی و غیر ادبی کتابوں کے ڈھیر۔ ہمیں جن مصنفین نے سب سے زیادہ متاثر کیا ان میں سب سے اہم شخصیت ابن صفی مرحوم کی ہے۔ ابن صفی مرحوم کے 250 سے زائد ناول بارہا پڑھے اور اب بھی مطالعہ میں رہتے ہیں۔ پڑھنے کے ساتھ ہی لکھنے کا شوق بھی پروان چڑھا۔ بہت سی کہانیاں اور ناول لکھے۔ جن میں سے زیادہ تر ابھی تک غیر مطبوعہ و غیر شائع شدہ ہیں۔ ارادہ ہے کہ ان سبھی کو پرتیلپی پر اپلوڈ کردیں تاکہ سند رہے اور شائقین اس سے مستفید ہوسکیں۔ اس ضمن میں اپنے پڑھنے والوں سے درخواست ہے کہ تحریر میں جہاں کہیں بھی کوئی غلطی یا کوتاہی اور خامی نوٹ فرمائیں اس کی اطلاع تبصرے کی صورت میں ہم تک ضرور پہونچائیں۔ آپ ہم کو اپنی آراء بذریعہ ای میل بھی روانہ کرسکتے ہیں۔ نوٹ: جلد ہی ناول "ریت کا زلزلہ" کی بقیہ اقساط لکھ کر پوسٹ کریں گے۔ "ریت کا زلزلہ" کے بعد اور بھی کئی ناول لائن میں ہیں جن کو آپ تک پہونچانا ہے۔ خیر اندیش: نبیلہ عادل حسینی
अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़िन्दगी, तू अगर मेरा नहीं बनता न बन, अपना तो बन। बचपन से विभिन्न प्रकार की कहानियां पढ़ने का शौक रहा है। यह शौक़ खानदानी है। घर में हर प्रकार का लिटरेचर उपलब्ध था जिसे पढ़ते हुए बड़े हुए। हमें विशेष रूप से जिन लेखकों ने प्रभावित किया उनमें कई बड़े नाम हैं। राइडर हैगर्ड, जेम्स हेडली चेज, अगाथा क्रिस्टी, अर्ल स्टेनली गार्डनर, आइन फ्लेमिंग, आर्थर कानन डायल, एडगर एलन पो, एडवर्ड डी० हो, मुहीउद्दीन नवाब, एम० ए० राहत, काशिफ जुबैर, सुरेंद्र मोहन पाठक तथा मुंशी तीर्थराम फिरोजपुरी इत्यादि। इन सभी राइटर के अतिरिक्त हमें जो नाम सबसे ज्यादा पसंद है और जिसने हमारी जिंदगी पर गहरी छाप छोड़ी वह किसी परिचय का मोहताज नहीं। जी हां हम जिक्र कर रहे हैं इब्ने सफी साहब का जिनका असली नाम असरार अहमद था और जिनका जन्म 1928 में इलाहाबाद के कस्बा नारा में हुआ था। उनके जासूसी नोवेल्स ने हिंदी, उर्दू और बंगाली भाषा में 1950 से आज तक धूम मचा रखी है। उनके करोड़ों पढ़ने वालों में से एक हम भी हैं। आज जो कुछ उल्टा सीधा और टूटा फूटा लिख लेते हैं इसके लिए हम इब्ने सफी साहब के एहसान मंद हैं। लिखने का शौक बचपन से ही था। दस साल की उम्र में पहला नॉवेल लिखने की कोशिश की और लगभग 30 पेज का एक नॉवेल लिख डाला था। यह कहानी आज भी हमारे पास सुरक्षित रखी है। इसके बाद काफी दिनों तक कुछ नहीं लिखा। 14 साल की उम्र में जब कुछ और समझ आई तो फिर से एक नॉवेल लिख जिसका नाम था "लाश का कत्ल" यह नॉवेल कुछ साल पहले फेसबुक ग्रुप पर पी० डी० एफ० में डाला था जिसे बहुत से लोगों ने पसंद किया और खूब तारीफें मिलीं। अब तक हम लगभग बीस नॉवेल लिख चुके हैं लेकिन उन्हें कभी प्रकाशित करने की नौबत नहीं आई। फिर 2021 में हमारी भेंट प्रतिलिपि से हुई तो सोचा कि क्यों न अपने लिखे हुए नॉवेल प्रतिलिपि के माध्यम से पाठकों तक पहुंचाएं। बस तब से प्रीतिलिप पर अपने द्वारा लिखे गए नोवेल्स पोस्ट करने का सिलसिला जारी है। आज कल दो नई कहानियां लिख कर प्रतिलिपि पर पोस्ट कर रहे हैं। हिंदी वाली कहानी का नाम है "स्वर्ग का शहंशाह" और उर्दू वाली कहानी का नाम "रेत का जलजला" है। रेत का जलजला का पहला सीजन "खतरनाक सफर" के नाम से एक साल पहले लिख चुके हैं। हमारे बहुत से पाठकों की डिमांड थी कि हम अपनी सभी उर्दू कहानियों को हिंदी के पाठकों के लिए प्रस्तुत करें। यह विचार हमें भी अच्छा लगा इसलिए हिंदी पाठकों के लिए "स्वर्ग का शहंशाह लिखा आरंभ कर दी है। इस नॉवेल के बाद हमारा अगला हिंदी नॉवेल "खून की प्यास" आएगा। उम्मीद है आपको हमारी लेखन शैली और नॉवेल पसंद आयेंगे। कहानी पढ़ कर अपनी राय अवश्य दें और अगर कहीं कोई कमी और गलती नजर आए तो मार्गदर्शन भी जरूर करें। आपके शुभचिंतक: नबीला आदिल हुसैनी پرواز ہے دونوں کی اسی ایک فضا میں، کرگس کا جہاں اور ہے شاہیں کا جہاں اور۔ بچپن سے ہی مختلف قسم کی کہانیاں پڑھنے کا شوق رہا ہے۔ یہ شوق موروثی ہے۔ گھر میں ہر قسم کا لٹریچر موجود تھا۔ اسی کو پڑھتے ہوئے بڑے ہوئے۔ مختلف قسم کے رسالے، ماہنامے، ڈائجسٹ اور ادبی و غیر ادبی کتابوں کے ڈھیر۔ ہمیں جن مصنفین نے سب سے زیادہ متاثر کیا ان میں سب سے اہم شخصیت ابن صفی مرحوم کی ہے۔ ابن صفی مرحوم کے 250 سے زائد ناول بارہا پڑھے اور اب بھی مطالعہ میں رہتے ہیں۔ پڑھنے کے ساتھ ہی لکھنے کا شوق بھی پروان چڑھا۔ بہت سی کہانیاں اور ناول لکھے۔ جن میں سے زیادہ تر ابھی تک غیر مطبوعہ و غیر شائع شدہ ہیں۔ ارادہ ہے کہ ان سبھی کو پرتیلپی پر اپلوڈ کردیں تاکہ سند رہے اور شائقین اس سے مستفید ہوسکیں۔ اس ضمن میں اپنے پڑھنے والوں سے درخواست ہے کہ تحریر میں جہاں کہیں بھی کوئی غلطی یا کوتاہی اور خامی نوٹ فرمائیں اس کی اطلاع تبصرے کی صورت میں ہم تک ضرور پہونچائیں۔ آپ ہم کو اپنی آراء بذریعہ ای میل بھی روانہ کرسکتے ہیں۔ نوٹ: جلد ہی ناول "ریت کا زلزلہ" کی بقیہ اقساط لکھ کر پوسٹ کریں گے۔ "ریت کا زلزلہ" کے بعد اور بھی کئی ناول لائن میں ہیں جن کو آپ تک پہونچانا ہے۔ خیر اندیش: نبیلہ عادل حسینی
معاملہ
معاملہ
معاملہ